पढ़ने की कोई कीमत या उम्र नहीं होती, बस लगन होनी चाहिए जो आपको आपके सपनों तक ले जा सके। ये कहानी है ममता चौहान की जो अजमेर, राजस्थान की रहने वाली है। ममता के पिता एक दिहाड़ी मजदूर है और इसी कारण आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण ममता 12वी कक्षा के बाद अपनी पढाई जारी नहीं रख पायी। पर उसकी लगन और सपने यही तक सीमित नहीं थें, वह अपने जीवन में कुछ बनना चाहती थी।
इसी लगन और चाहत के साथ ममता ने उम्मीद ना खोते हुए GDA कोर्स करने का मन बना लिया। कोर्स ख़त्म होने के बाद ममता का चयन जयपुर के महात्मा गाँधी अस्तपताल में 10,000 रूपए प्रति माह वेतन के साथ हुआ। अब ममता गर्व के साथ अपने पिता और परिवार वालो की मदद करने में सफल है। उम्मीद के साथ भरी उड़ान कभी व्यर्थ नहीं जाती और कुछ ऐसा ही हुआ ममता के साथ।